Sanskrit Essay, Paragraph, Speech on "Savitribai Phule", "सवतरबई फल" for Students in Sanskrit Language for Class 8, 9, 10, 11, 12 and Higher Studies Exam.
सवतरबई फल
Savitribai Phule
जतब फल एक स महन समजसधरक आसत सवतरबई फल तसय पतन आसत
सवतरबई फल क जनम ३ जनवर १८३१ क हआ बलयकलदव स अतव सहस बदधमन च आसत
जतब पणनगर बलकन कत एक वदयलय उदघटतवत सवतरबई तसमन अधयपनकरय करत सम कचन जन बलकन शकषणसय वरध करवनत सम पररमभ एत जन सवतरबईम उतपडयनत सम परनत पशचत सरव तसय आदर करत आरबधवनत
सवतरबई फल इतयसय मतय १० मरच १८९७ तम वरष अभवत
सतयमव स महन समजसवक आसत
सवतर बई फल क भरत क पहल महल शकषक क रप म भ यद कय जत ह सवतरबई फल क इतहस भरतय महलओ क अधकर क इरद-गरद घमत ह
सवतरबई फल समज सधरक क सथ-सथ एक मरठ कवयतर भ थ इतन ह नह सपरण महल समज क उदधर हत इनहन सतरय क अधकर तथ शकष क सतर बढन क लए उललखनय करय कए
सवतरबई फल न अपन पत क सथ मलकर करय कय इनह आधनक मरठ कवय क अगरदत मन जत ह भरत क पहल महल शकषक क सथ-सथ इनह एक महन समज सवक क रप म भ यद कय जत ह सकषपत रप म दख जए त यह सवतरबई फल क इतहस ह
सवतरबई फल जवन (Biography Of Savitribai Phule)
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यह जानकर आश्चर्य होता है कि 18वीं शताब्दी में भारत की पहली शिक्षिका तथा सामाजिक क्रांति की अग्रदूत सावित्रीबाई फुले एक प्रखर, निर्भीक, चेतना सम्पन्न, तर्कशील, दार्शनिक, स्त्रीवादीख्याति प्राप्त लोकप्रिय कवयित्री अपनी पूरी प्रतिभा और ताकत के साथ उपस्थित होती हैं और किसी की उन पर निगाह भी नहीं जाती या फिर दूसरे शब्दों में कहूं तो उनके योगदान पर मौन धारण कर लिया जाता है। सवाल है इस मौन धारण का, अवहेलना और उपेक्षा करने का क्या कारण है? क्या इसका एकमात्र कारण उनका शूद्र तबके में जन्म लेना और दूसरे स्त्री होना माना जाए? सावित्रीबाई फुले का पूरा जीवन समाज के वंचित तबकों खासकर स्त्री और दलितों के अधिकारों के लिए संघर्ष और सहयोग में बीता। जोतीराव संग सावित्रीबाई फुले ने जब क्रूर पितृसत्ता व ब्राह्मणवाद का विरोध करते हुए, लड़कियों के लिए स्कूल खोलने से लेकर तात्कालीन समाज में व्याप्त तमाम दलित-शूद्र-स्त्री विरोधी सामाजिक, नैतिक और धार्मिक रूढ़ियों-आडंबरों-अंधविश्वास के खिलाफ मजबूती से बढ-चढकर डंके की चोट पर जंग लडने की ठानी, तब इस जंग में दुश्मन के खिलाफ लडाई का एक मजबूत हथियार बना उनका स्वयं रचित साहित्य जिसका उन्होंने प्रतिक्रियावादी Who was Savitribai Phule?About Savitribai Phule
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